अग्निपथ और अग्निवीर

 
 

यह आर्टिकल मे हिंदी मे लिख रहा हूँ क्यूंकि इतिहास गवाह है की आक्रमणों का सबसे पहला असर नार्थ इंडिया पे पड़ा है बाद मे साउथ इंडिया पे.

अग्निपथ और अग्निवीर स्कीम को लेकर तीन ग्रुप चिंतित हैं एक वह जिनकी परमानेंट जॉब की इच्छा थी और दूसरे वह जिनको इसका असर सेना पर क्या होगा और तीसरा वह जिसे सिर्फ राजनीती से मतलब है।

मै first ग्रुप की तरफ से अभी कुछ नहीं बोलूंगा क्यूंकि जिस तरह की सरकार की तरफ से प्रतिकिरायें आ रही हैं आंदोलन के बाद से साफ़ ज़ाहिर है की वह इस ग्रुप की इच्छा पूरी करने की पूरी कोशिस करेंगे इस स्कीम को लागू करवाने मे, चाहे उस से सेना का कितना भी नुक्सान हो जाए.

मे बात करूँगा दूसरे ग्रुप की. जिसकी चिंता है की सेना पर क्या असर होगा.

१. बहुतों को समझ मे नहीं आरहा है की अग्निपथ स्कीम के बाद आर्मी मे परमानेंट रिक्रूटमेंट बंद हो जाएगा। धीरे धीरे अगले 10-15 सालों मे आर्मी मे ५०% सैनिक यानि ५ लाख सैनिक अग्निवीर यानी वह सैनिक होंगे जो ४ साल के कॉन्ट्रैक्ट पे देश की रक्षा करेंगे।

२. एक trained सैनिक को बनाने मे तक़रीबन २ -३ साल लगते हैं , पर इस स्कीम मे जब तक हम एक अग्निवीर को trained सिपाही बना पाएंगे वह जाने की तयारी मे होगा.

३. जहाँ हम ढाई फ्रंट , यानि पाकिस्तान, चीन और मिलिटेंट्स से लड़ने की बात करते हैं ऐसी हालत मे यह कहाँ तक अक्लमंदी की बात होगी की हमारी आधी सेना CONTRACTUAL स्टाफ पे निर्भर हो. वह क्या समझ ते  हैं की सेना का काम एक टूर जैसा है,  घूम के आ जाओ. यह अग्निवीर परमानेनेट सैनिकों को रीप्लेस  कर रहे हैं

४. कोई भी संसथान चाहे वह प्राइवेट हो अपनी कोर बिज़नेस contractual स्टाफ से नहीं चलती है. हम हाउस कीपिंग स्टाफ कॉन्ट्रैक्ट पे रख सकते हैं पर देश की सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट पे रखदे यह कोई अक्लमंदी नहीं होगी.

अब जहाँ तक सपोर्ट की बात है तो जब से देश मे परिवारों और मित्रों मे ही तकरार हो गयी हो मोदीजी को लेकर, वहां इतनी ego आगयी है की कोई देश के बारे मे सोचना ही नहीं चाहता। सब को चिंता यह है की मोदी हिन्दू सम्राट है और अगर वह चला गया तो मुस्लमान हावी हो जाएंगे, अब इस मे देश का कितना अहित होगा उस से उनको कोई चिंता नहीं है.

कोई भी इस तरह की डीप इम्पैक्ट लाने वाली पालिसी बगैर सारे लोगों से राये के नहीं लेनी चाइये. यहाँ तक की General वीके सिंह जो की एक सरकार एक मंत्री हैं , को भी नहीं मालूम था इस स्कीम के बारे मे.

उसका हश्र अब सड़कों पे दिख रहा है.

अब समाज को सोचना है की वह देश की सुरक्षा कॉन्ट्रैक्ट के सैनिकों के सुपुर्द करेंगे ?

 

अगर हम आज नहीं जागे तो दस साल बाद पछतायेंगे.

कुछ लोग इस स्कीम को जबरदस्ती देश के गले मे उतारना चाहते हैं वह कह रहे हैं की इस से समाज को disciplined , motivated, देश भक्त जवान मिलेंगे , मेरा उनसे यह पूछना है की ;

क्या हमारे डॉक्टर्स, साइंटिस्ट्स, प्राइवेट कम्पनीज मे काम करने वाले लोग देश भक्त नहीं हैं. जो ईमानदारी से कम्पनीज मे टारगेट हांसिल कर रहे हैं वह देश भक्त नहीं हैं. हमारे माता पिता देश भक्त नहीं हैं.

और जो पहिले सेना मे आ रहे थे वह देश भक्त और मोटिवेटेड नहीं थे क्या ?

मे पिछले १७ सालों से सिविल मे काम कर रहा हूँ मुझे कभी ऐसा नहीं लगा की सिविल मे देश भक्तों की कमी है.और जहाँ तक डिसिप्लिन का सवाल है वह सिस्टम और PROCEDURES पे depend  करता   है

समाज को MILITARISED करने के चक्कर मे कहीं हम सेना का हाल खराब न कर दें.

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Our journey as a modern nation statestarted in 1947 with the historic speech byPandit Jawaharlal Nehru, with 95% illiteracy, barely any industry and transport system, armed forces that were divided due to partition lacking equipment was largely in disarray, if there were guns- then the dial sights were taken away by Pakistanis, making the guns ineffective, if there were files- maps were taken way by Pakistanis, if there were battalions, half the men had gone away to Pakistan and so on.


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