जय श्रीराम , रमेशजी ने दोनों हाथ पूरे ऊपर उठाके ज़ोर से बाबूजी को ग्रीट किया। बाबूजी रोज़ाना की तरह १० बजे छत पे अपनी आराम कुर्सी पर विराजमान थे। रोज़ाना १० बजे नाहा धो के बगैर नागा किये अपने दुमंजिले घर की छत पर आराम कुर्सी पेय विराजमान हो जाते हैं वहां उन्होने अपनी किताबें व अखबार रखी हुईं है और रोज़ एक बजे तक वह दुनिया से जुड़े रहते और दुमंजिले घर की छत पे बैठने के कारण उनका अपनी कॉलोनी पेय भी भरपूर नज़र रहती है. कौन कितने बजे ऑफिस जाता है, कौन दूध बांटने आता है , गेट पे तैनात सिक्योरिटी गार्ड्स मुस्तैदी से ड्यूटी कर रहे हैं या नहीं, कोई भी उनकी तेज़ नज़र से बच नहीं सकता था.
बाबूजी थे तो ७५ साल के पर लगते ६५ से ज़ियादा के नहीं थे। कद -काठी मे छोटे थे पर मज़बूत दिखते थे। सुबह एक घंटा योग करते थे और शाम को ३-४ किलोमीटर पैदल चलते थे। पूरी कॉलोनी मे जहाँ तक़रीबन ५०० घर थे ऐसा कोई भी न होगा जो उन्हें नहीं जानता हो. उसका कारण था उनका तजुर्बा और उनकी फितरत की अपने आपको हमेशा अपडेट रखना ; चाहे राजनीती हो, विदेश निति हो, टेक्नोलॉजी हो, स्टॉक मार्किट मे क्या चल रहा है , सिनेमा जगत मे क्या हो रहा है इत्यादि इत्यादि. बाबूजी ने कभी बताया तो नहीं पर पर लोग ही कहते हैं वह फ़ौज से रिटायर होने के बाद कई प्राइवेट कम्पनीज मे नौकरी की , अपनी खुद की बिज़नेस भी मैनेज की और तक़रीबन ७० साल की उम्र तक काम करने के बाद उन्हें लिखने का शौक लगा तो ३-४ किताबें लिख दीं। वह बच्चों के साथ बच्चे बन जाते जवानों के साथ उनकी रूचि के हिसाब से बात कर सकते थे.
इसके अलावा वह एक बिहेवियरिस्ट भी थे और कई कम्पनीज के साथ वह आर्गेनाईजेशन डेवलपमेंट के कंसलटेंट भी रहे। इस लिए लोगों का behaviour देख कर वह अंदाजा लगा ले लेते थे की उसके मन मे क्या चल रहा है. अतिश्योक्ति नहीं होगी यह कहने मे की बाबूजी उड़ती चिड़िया के पंख गिन सकते थे और बहुमुखी प्रतिभा के धनि थे.
रमेशजी सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गए पर ताऊजी ने उनके जय श्री राम का कोई जवाब नहीं दिया।
रमेश एक कंस्ट्रक्शन कांट्रेक्टर थे जिनकी किस्मत हाल ही मे आये कंस्ट्रक्शन बूम मे खुली. उनके हाथ कई रोड्स के और आवासीय कॉन्ट्रैक्ट्स लगे , तो घर के आगे अब २-३ बड़ी बड़ी SUVs शोभाये मान हो गयीं जिनके काले काले कांच और पिछले कांच पे बड़े बड़े अक्षरों मे जय श्री राम लिखवा दिया था शायद यह दर्शाने के लिए की अब वह कानून से बड़े हो गए हैं .
भुराक सफ़ेद शर्ट और पतलून पहनते थे , चौड़े ललाट पे लम्बा सा लाल तिलक और दाहिने हाथ मे मोटा सा कलावा बांध के वह साफ़ बता देते थे की उनका किस पार्टी के साथ कनेक्शन है.
रमेश बाबूजी के पास तब से आते थे जब वह छोटे मोटे कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स करते थे , उनका कई साल का सम्बन्ध था। यह तिलक , यह कलावा और श्री राम के प्रति लगाव हालांकि अभी हाल ही का डेवलपमेंट है.
रमेशजी इंतज़ार करते रहे पर बाबूजी ऊपर आसमान की तरफ देखते रहे. रमेश कुछ देर तो बैठे रहे फिर धीरे से बोले ; बाबूजी सब ठीक तो है ,
बाबूजी अपनी बड़ी बड़ी आँखों से घूरते हुए बोले ; हाँ, ठीक ही है.
फिर आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे। रमेश ने अपनी चिंता व्यक्त की.
क्यों ऐसा क्यों लगा।
आपने जय श्री राम का जवाब नहीं दिया.
बाबूजी फिर सोच मे पर गए।
बेटा, आपने जय श्री राम मुझे प्रेम भाव से कहा था या किसी घमंड से।
बेटा जिस राम को मैंने बचपन से सौम्य, प्रेम और त्याग का प्रतीक मान के पूजा की उस राम को आप लोगों ने समाज के उदंडियों के हाथों मे सौंप दिया है, वह श्री राम का नाम अब प्रेम , त्याग और भक्ति की भावना से नहीं लेते बल्कि दूसरों को डराने के लिए लेते हैं. ऐसा मुझे प्रतीत होता है. इसलिए आपके श्री राम मे भी मुझे प्रेम और भक्ति का अभाव लगा इसलिए मैने जवाब देना उचित नहीं समझा.
रमेशजी कुछ क्रोधित हो गए और खिसयाते हुए बोले “बाबूजी , ऐसा है हिन्दू कब तक दब कर रहे , वह अब जाग गया है , अब उसका राम कोई कमज़ोर ,और असहाये नहीं है , जो तम्बू के नीचे रहेगा, उसका भव्य मंदिर बनेगा।“
“हाँ बेटा यह तो बहुत अच्छा है की मंदिर बनेगा , पर जो नफरत तुम फैला रहे हो समाज मे राम के नाम पे उसे कैसे दूर करोगे “.
“बाबूजी ऐसा है जिसे तकलीफ है इस से वह पाकिस्तान चला जाए “.
“हाँ सलूशन तो बहुत बढ़िया है तुम्हारा “।
“इसी तरहं का solution जिन्नाह ने दिया था उससे ना तो पाकिस्तान का भला हुआ न मानवता का, लोगों को दरिंदा बना दिया था “.
“हां अगर सारे मुसलमानों को भेज देते तो हम तो चैन से रहते”। रमेश ने तंग कसा
“बेटा , यह तुम्हारा भ्रम है , यह सिर्फ उनलोगों द्वारा फैलाया जा रहा है जो चित भी मेरी और पट भी मेरी चाहते हैं। उन्होने तो न तब किसी चीज़ की जिम्मेवारी ली और नहीं अब लेंगें , उनकी फितरत है …जो आज पार्टीशन जैसी हालात पैदा कर रहे हैं वह फिर उन्ही लोगों को कोसेंगे जो इस देश को एक रखने की कोशिस कर रहे हैं. ”
बाबूजी फिर थोड़ा सोच के बोले – “ जिन्नाह जैसे लोग हमारे बीच भी थे , जिन्नाह और वह एक दूसरे के पूरक हैं। वह अपनी आस्था पे तो एक शब्द सुन नहीं सकते , खुद माथे पे चन्दन का लेप लगाएंगे भरी पब्लिक मे और दूसरे की आस्था मे दोष निकालेंगे , उनका खाना तब तक नहीं पचता जब तक दूसरे धरम के लोगों को कोस नहीं लेते । ….पाकिस्तान मे सारे मुसलमान हो गए तो क्या पाकिस्तान मे बहुत तरक्की हो गयी क्या वहां लोग बहुत सद्भाव से रहे रहे हैं ?
बाबूजी यह बहुत बड़ा मंथन चल रहा है , आप देखना कैसे इस देश मे यह सारे एंटी नेशनल ताक़तें ढेर हो जाएंगी. रमेश ने कुर्सी से उठते हुए बोला।
नहीं बेटा, धर्म , मंदिर, मस्जिद , मौलाना और पंडितों से देश नहीं बनता है. देश वैल्यूज से यानी की मूल्यों से बनता है. भारत मे ऐसा कोई मोहल्ला , गांव , शहर नहीं होगा जहाँ २- से कम मंदिर होंगे पर फिर भी हमारी गिनती भ्रष्ट देशों मे होती है , महिलाओं के साथ कु कर्म होते हैं , एक दलित अपनी शादी मे घोड़ी पे सवार हो उसकी सुरक्षा के लिए १०० पुलिस के सिपाहियों का दल तैनात करना पड़े , हमारे क्या वैल्यूज, क्या मूल्य हैं , बेटा ?; जैसे सिर्फ दाढ़ी बढ़ा लेने से कोई मुसलमान या सिख तो दिख सकता है वैसे ही तिलक लगा लेने से, मोटा कलावा बांधने से आप सिर्फ हिन्दू दिखते हो, अच्छे इंसान नहीं. बिज़नेस मे बेईमानी, कॉन्ट्रैक्ट लेने के लिए रिशवत देना , सड़क खराब क्वालिटी की बनाना, टैक्स की चोरी करना और फिर जय श्री राम कहके लोगों को डराना… ऐसे देश और समाज कमज़ोर होते हैं …रमेश बेटा इस से देश नहीं बनते बल्कि जो बना है ना, वह बिगड़ जाएगा। पूरा देश एक अखाड़ा बन जाएगा। …. इस से सिर्फ नफरत ही बढ़ेगी सदभावना नहीं। आप अगर उनके गले यहाँ घोटोगे तो वह बाहर जा कर चिलायेंगे ।
बेटा , भगवान् के नाम पे डराना, भगवान् को भी मंज़ूर नहीं है। ....ऊपर वाले की ऐसी लाठी पड़ेगी कि इतिहास मे इनका तिरस्कार होगा जैसे हिटलर , मुसोलिनी का हुआ.
रमेश से अब रहा नहीं गया , बाबूजी मैं तो आपकी उम्र की इज़्ज़त करता हूँ वरना। …
“ बेटा यही तो मै कह रहा हूँ, कब को आप सब अपने खुद के लोगों के दुश्मन बनजायोगे पता भी नहीं चलेगा, हिटलर और मुसोलिनी ने भी अपने ही नागरिकों को मरवाया था ; किसानों को एंटी नेशनल बना दिया, जिसने भी बुराई की वह एंटी नेशनल हो गया, जिन्होने अवार्ड वापिस किये वह भी एंटी नेशनल हो गया , जिन्होने ममता बनर्जी को सपोर्ट किया वह एंटी हिन्दू और एंटी नेशनल होगया, मुसलमान तो सारे एंटी नशनल घोषित हो गए हैं..
तुम चाहे गाँधी, नेहरू सबकी मूर्तियां तोड़ दो, राजघाट से गाँधी की समाधी हटा दो और उन सब मूर्तियों की जगह अपने इष्ट वीर सावरकर और गोडसेजी की मूर्तियों को खड़ा कर दो, उनकी महिमा गान के लिए पिक्चर बनवायो , फिर भी आप इस समाज मे , इस देश मे सदभावना , प्रेम , नहीं ला सकोगे क्यूंकि सवाल अंत मे यही खड़ा होगा की उन व्यक्तियों ने जिन को आप बढ़ावा दे रहे हो उन्होंने किन मूल्यों को बढ़ावा दिया ; एक ने हिन्दू-मुसलमान के बीच मे दरार डाली और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात की दूसरे ने मर्डर किया। समाज मे छोड़ो विदेश मे भी आप उनका गुण गान नहीं कर पाओगे। सिख , ईसाई , पारसी , दक्षिण भारतीय , बंगाली , सब विरोध मे खड़े हो जाएंगे ,आप लोगों ने आधा देश एंटी नेशनल बना दिया है. कहाँ भेजोगे सब को और कितनों को मारोगे। “
ऐसे बगैर मूल्यों के देश चलाओगे क्या ?
Author ; Sumit Prasad.
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