एक समय था जब  नवयुवक देश छोड़ के विलायत नहीं जाता  था । 

 
वह यहीं रहकर देश के लिए कुछ करने की तमना रखता था . 
 
अब वही युवक देश छोड़ने की बात करता है.  
 
और तो और पूरा परिवार उसके विलायत से ऑफर लेटर मिलते ही खुशियां मनाता है,
 
दोस्त और सम्बन्धियाँ को बड़े गर्व से बताया जाता है - मेरा बच्चा अमरीका मे MNC मे है। 
 
बहुत मनाने पर भी वह नहीं आना चाहता। 
 
बल्कि माँ - बाप को भी ले जाता है। 
 
पर देश भक्ति की कवितायें वह हमें वहीँ से सुनाता है. 
 
एक समय था जब  नवयुवक देश छोड़ के विलायत नहीं जाता  था ।
 
 
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इमरान खान अपनी ही कौम पर खीजते हुए बोले - ४८ मुस्लमान देश हो कर भी पलेस्टाइन और कश्मीरी मुसलमानों को उनके हक़ नहीं दिलवा सके हम.

यह मिसाल बिलकुल ऐसी है जैसेआजकल हिन्दू कट्टरपंथी बोला  करते हैं ; उनको किसी से डर नहीं सिर्फ हिन्दुओं  से है. 
 
मतलब साफ़ है कट्टरपन्थों को सिर्फ अपने ही लोगों से हमेशा डर सताता है। 
 
तथ्यों को देखें तो सिख मिलिटेंसी के दौरान पंजाब मे  सिख मिलिटेंट्स ने अपने ही सिखों को ज़ियादा मारा। 
 
इसी तरह इस्लामिक कटरपंथियों ने पकिस्तान व अफ़ग़ानिस्तान व कश्मीर मे अपने ही लोगों को ज़ियादा मारा। 
 
स्पष्ट है की जो कौम के हक़ की दुहाई देते हैं वही अपने ही लोगों को ठोकते भी हैं।  
इस आग मे कहीं न कहीं सब झुलसते हैं , यकीं न हो तो पंजाब, कश्मीर और पश्चिम बंगाल चले जाएँ और पूछें उन माँ बाप, भाई , बहनों से जिन्होने अपने खोये हैं. 
 
मोदीजी और उनकी पार्टी  जिस दिशा मे लेके जा रही है समाज को,  कहीं हमारा हश्र भी तो ऐसा नहीं होने  वाला।  
 
ट्रेलर तो ऐसा ही लगता है नवनीत राणा और उनके पति दोनों हनुमान भक्त आज जेल मे हैं. 
 
पश्चिम बंगाल के एलेक्शंस के दौरान ढेरों लोगों की जान गयी। 
 
खरगोन, जहांगीरपुरी, रायसेन की आग अभी ठंडी नहीं हुयी है , इसमे हिन्दू भी मरे हैं और मुस्लमान भी। 
 
रायसेन मे एक स्वामीजी ने ललकार दिया की उनके शिवजी अभी भी जेल मे हैं और सारे छोटे बड़े  नेता रायसेन पहुँच गए शिवजी को छुड़ाने। 
 
इसीलिए हमारे बड़े बुज़ुर्ग कहके गए थे बेटा राजनीती को धर्म से अलग रखना। 
 
सोचता हूँ अब तो यह गोली फायर हो चुकी है। 
कहाँ जा कर रुकेगी कह नहीं सकते।  
Keep your fingers crossed and hope for the best. 
And trust the wisdom of our founding fathers. 
 
English Translation 

 Imran Khan the erstwhile PM recently during the OIC meet appealed to the Muslim nations ; 48 of us Muslim nations have not been able to get the rights of muslim brothers of Palestine and Kashmir.

His was an appeal to his fellow Muslims , out of sheer frustration.

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कितना आसान हो गया है देश भक्ती दिखाना ,

जय श्री राम बोलो , मुसलमानों को कोसो , पुराने ज़ख्मों को कुरेदो , हिन्दू राष्ट्र बनाने के दो चार मैसेज circulate कर दो और बन गए देश भक्त ।

३० करोड़ मुसलमानों से तकलीफ हो ती है और सोच रहे हैं बलूचिस्तान , कंधार , पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर लेके अखंड भारत बनाने की,  

न टैक्स देना, ना कानून का पालन करना , सरकारी सम्पति का दुरूपयोग करना, भ्रष्ट तरीकों से सम्पति बनाना, अपनों से अपनों की लड़ाई कर वाना,

कितना आसान हो गया है देश भक्त बनना।

 

कैसे जोड़ेंगे और ४० करोड़ मुसलमानों को ,

कैसे जोड़ेंगे सिखों को , कैसे जोड़ेंगे इसाईओं को, कैसे जोड़ेंगे गैर हिंदी भाषियों को, कैसे जोड़ेंगे कश्मीरियों को और नागालैंड के वासियों को,

पहिले अपनों को तो जोड़ने की कला सीखें फिर अखंड भारत के बारे मे सोचें।

 

पूरा देश घूम के आएं, हर भाषा, हर जाती, और हर धर्म के आदमी से मिलें और उसकी इज़्ज़त करें फिर अखंड भारत की बात करें।

भारत से पहिले भारत वासियों से प्रेम करना सीख लें ,

देश भक्ति अपने आप आ जाएगी,

देश भक्ति को इतना सस्ता ना बनाएं कि वह दिखावटी हो जाये।

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डोज़र बाबा की तरक़्की से मप्र के मुख्य मंत्री ने भी अपना नाम डोज़र मामा कर दिया।

जो कमाल डोज़र बाबा ने उप्र मे किया वह डोज़र मामा ने खरगोन मे कर दिखाया, और इकबाल सिंह साहब ने दिल्ली मे ।

सारे उनके SUPPORTERS गद गद हो रखे हैं और डोज़र की आरती गा रहे हैं ।

 

दुनिया मे भी इस कमाल का पुर ज़ोर व्याख्यान हो रहा है।

कहा जा रहा है की भारत देश की कानून स्थति को बनाये रखने के लिए सरकार को अब डोज़र का सहारा लेना पड़ रहा है।

सोचता हूँ की हम अपनी क़ाबलियत का इज़हार कर रहे हैं या न क़ाबलियत का ।

 

कहावत है पैर पे कुलाहड़ी मारना ,

लगता है की कहीं डोज़र के चकर मे हम कुल्हाड़ी पे पैर न दे मारें ।

 

बड़े लोग बोलते हैं की जब तर्क ख़त्म हो जाता है तो आवाज़ ऊँची हो जाती है,

और जो ऊँची आवाज़ से भी बात न बने तो लाते घुसें चलाने पड़ते हैं. .

सरकार की नौबत अब यह आगयी है की उसका अब अपने ही तंत्रों से विश्वास उठ गया है तभी तो उसने डोज़र का सहारा लिया है.

और अब लाते घूसों पे उतर आयी है.

 

मै सोचता हूँ की

क्या लाते घूंसे चलाना सरकार को शोभा देता है

सरकार अपनी क़ाबलियत का इज़हार कर रही है या नाकाबलियत का।

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