एक समय था जब नवयुवक देश छोड़ के विलायत नहीं जाता था ।
एक समय था जब नवयुवक देश छोड़ के विलायत नहीं जाता था ।
इमरान खान अपनी ही कौम पर खीजते हुए बोले - ४८ मुस्लमान देश हो कर भी पलेस्टाइन और कश्मीरी मुसलमानों को उनके हक़ नहीं दिलवा सके हम.
Imran Khan the erstwhile PM recently during the OIC meet appealed to the Muslim nations ; 48 of us Muslim nations have not been able to get the rights of muslim brothers of Palestine and Kashmir.
His was an appeal to his fellow Muslims , out of sheer frustration.
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कितना आसान हो गया है देश भक्ती दिखाना ,
जय श्री राम बोलो , मुसलमानों को कोसो , पुराने ज़ख्मों को कुरेदो , हिन्दू राष्ट्र बनाने के दो चार मैसेज circulate कर दो और बन गए देश भक्त ।
३० करोड़ मुसलमानों से तकलीफ हो ती है और सोच रहे हैं बलूचिस्तान , कंधार , पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर लेके अखंड भारत बनाने की,
न टैक्स देना, ना कानून का पालन करना , सरकारी सम्पति का दुरूपयोग करना, भ्रष्ट तरीकों से सम्पति बनाना, अपनों से अपनों की लड़ाई कर वाना,
कितना आसान हो गया है देश भक्त बनना।
कैसे जोड़ेंगे और ४० करोड़ मुसलमानों को ,
कैसे जोड़ेंगे सिखों को , कैसे जोड़ेंगे इसाईओं को, कैसे जोड़ेंगे गैर हिंदी भाषियों को, कैसे जोड़ेंगे कश्मीरियों को और नागालैंड के वासियों को,
पहिले अपनों को तो जोड़ने की कला सीखें फिर अखंड भारत के बारे मे सोचें।
पूरा देश घूम के आएं, हर भाषा, हर जाती, और हर धर्म के आदमी से मिलें और उसकी इज़्ज़त करें फिर अखंड भारत की बात करें।
भारत से पहिले भारत वासियों से प्रेम करना सीख लें ,
देश भक्ति अपने आप आ जाएगी,
देश भक्ति को इतना सस्ता ना बनाएं कि वह दिखावटी हो जाये।
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डोज़र बाबा की तरक़्की से मप्र के मुख्य मंत्री ने भी अपना नाम डोज़र मामा कर दिया।
जो कमाल डोज़र बाबा ने उप्र मे किया वह डोज़र मामा ने खरगोन मे कर दिखाया, और इकबाल सिंह साहब ने दिल्ली मे ।
सारे उनके SUPPORTERS गद गद हो रखे हैं और डोज़र की आरती गा रहे हैं ।
दुनिया मे भी इस कमाल का पुर ज़ोर व्याख्यान हो रहा है।
कहा जा रहा है की भारत देश की कानून स्थति को बनाये रखने के लिए सरकार को अब डोज़र का सहारा लेना पड़ रहा है।
सोचता हूँ की हम अपनी क़ाबलियत का इज़हार कर रहे हैं या न क़ाबलियत का ।
कहावत है पैर पे कुलाहड़ी मारना ,
लगता है की कहीं डोज़र के चकर मे हम कुल्हाड़ी पे पैर न दे मारें ।
बड़े लोग बोलते हैं की जब तर्क ख़त्म हो जाता है तो आवाज़ ऊँची हो जाती है,
और जो ऊँची आवाज़ से भी बात न बने तो लाते घुसें चलाने पड़ते हैं. .
सरकार की नौबत अब यह आगयी है की उसका अब अपने ही तंत्रों से विश्वास उठ गया है तभी तो उसने डोज़र का सहारा लिया है.
और अब लाते घूसों पे उतर आयी है.
मै सोचता हूँ की
क्या लाते घूंसे चलाना सरकार को शोभा देता है
सरकार अपनी क़ाबलियत का इज़हार कर रही है या नाकाबलियत का।
Add a commentOur journey as a modern nation statestarted in 1947 with the historic speech byPandit Jawaharlal Nehru, with 95% illiteracy, barely any industry and transport system, armed forces that were divided due to partition lacking equipment was largely in disarray, if there were guns- then the dial sights were taken away by Pakistanis, making the guns ineffective, if there were files- maps were taken way by Pakistanis, if there were battalions, half the men had gone away to Pakistan and so on.